दिल्ली की दुविधा
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दिल्ली में चुनाव के समय आम आदमी पार्टी नई थी और पूर्ण रूप से आश्वस्त होकर कह सकता हूँ कि आप के जितना कर्मठ कोई और था भी नही अतः दिल्ली की जनता ने अपना पूर्ण मतदान आम आदमी पार्टी और श्री अरविन्द केजरीवाल को दिया तथा दिल्ली में बहुमत की सरकार बनवाई |
जब जनता ने पूर्ण बहुमत देकर किसी पार्टी को जितवाया है तो उस पार्टी से उम्मीद की जाती है कि वो पार्टी और उसकी सरकार जनता के हित के लिए काम करें |
दिल्ली की जनता के विश्वास पर खरा उतरने का कार्य जैसे ही अरविन्द केजरीवाल और उनकी सरकार ने शुरू किया तो एक हारा हुआ दल जिसकी देश में सरकार है जिसके पास पूरी ताकत है , संगठन है ,, पैसा है सब कुछ है, ने अपनी गंदी राजनीति शुरू कर दी चूँकि पुलिस उनके पास थी तो पहले तो उन्होंने पुलिस के माध्यम से आम आदमी पार्टी के विधायको को गिरफ्तार क्क्रना शुरू किया वो भी मामूली से मामलों पर जिनमे से अधिकांश केवल आरोप तक ही सिमित थे जिनके मामले में आज तलक दिल्ली पुलिस जांच पूरी नही कर पाई है |
पहला एजेंडा था कि भ्रष्टाचार को खत्म कैसे किया जाये , उसके लिए एंटी करप्शन ब्यूरो की आवश्यकता थी जिसके लिए मुख्यमंत्री द्वारा SS यादव आईपीएस को नियुक्त किया गया था, 150 से ज्यादा गिरफ्तारी और एक हेल्पलाइन फोन नंबर जारी किया गया लेकिन एक रोज जब इसी ब्यूरो ने दिल्ली पुलिस के 2 सिपाहियों को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया तो खलबली मच गयी क्यूंकि अगर ऐसे ही गिरफ्तारी का सिलसिला चल पड़ता तो इसकी काफी अनसुनी परतें सामने आ जाती | इसके बाद एक अतिरिक्त पद को स्थापित किया गया तथा MK मीना आईपीएस को वहां नियुक्त कर दिया गया उसके पश्चात सरकार के अधिकार से ACB का कार्य एक तरह से छीन लिया गया |
उसके बाद एक ऐसे आदमी के माध्यम से दिल्ली की सरकार को परेशान किया जाने लगा जिसका मतदान और सरकार से कोई जमीनी रिश्ता नही होता हालाँकि संविधान के अनुसार रिश्ता जरुर है , दिल्ली के राज्यपाल के माध्यम से दिल्ली की चुनी हुई सरकार को परेशान किया जाने लगा , चूँकि जनता ने मतदान किया है तो जनता काम मांगती है , जब भी कोई कारवाई या न्य कार्य दिल्ली की चुनी हुई सरकार शुरू करती उसमे टांग अडाने या विघ्न पैदा करने के आदेश उपराज्यपाल को प्रधानमंत्री कार्यालय से दे दिए जाते | सैंकड़ो फाइल्स को LG ने रोक कर रखा , अधिकांश को वापिस लौटा दिया | लेकिन अभी तक ये टांग अडाने का काम इतना प्रबल नही था |
इस टांग अडाने के मामले को लेकर सरकार ने हाई कोर्ट का रुख किया , वहां के माननीय जज साहब ने फैसला दिया कि LG ही बड़े है और इन्ही कि चलेगी , तो इस बारे में मेरा और सरकार का दोनों का एक ही मत है- दिल्ली के और देश के लोगों के मतदान में फर्क क्यूँ किया जाता है , वही वोटर कार्ड दिल्ली में बनता है और व्ही अन्य राज्यों में बनता है | चलो संविधान का हवाला देकर आप कुछ कह भी दे तो क्या ऐसा नही हो सकता कि मुख्यमंत्री और LG के विषय बाँट दिए जाए क्योंकि एक चुने हुए आदमी की जिम्मेदारी किसी नियुक्त आदमी से कहीं ज्यादा होती है |
जैसे ही हाई कोर्ट से फैसला आया उसके बाद से दिल्ली में दुविधा बढती चली गयी क्योंकि सरकार को अपंग बना दिया गया , सारे अधिकार छीन लिए गये और एक हेडमास्टर साहब ऊपर बैठा दिए गये जिसका खामियाजा ये हुआ कि दिल्ली सरकार के हर जनहित कार्य और प्लान में देरी होने लगी तथा कुछ फैसलों को खारिज तक कर दिया गया जैसे कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली में बसों का किराया कम करने का फैसला किया था जिसको ;LG साहब ने खारिज कर दिया , हालाँकि अभी दिल्ली में मेट्रो का किराया बढ़ा है जिसे खारिज करना चाहिए था , ऐसे अनेकों फैसलों को LG ने खारिज किया |
मुख्य बात है अधिकारियों कि जोकि दिल्ली में काम कर रहे है उनके ट्रान्सफर इत्यादि , हटाना , लगाना ये सब काम LG के अधीन है यानि अगर किसी अफसर से जनता को शिकायत है तो जनता के चुने हुए मुख्यमंत्री तक को पॉवर नही कि उस अफसर को हटा सकें | तो फिर क्या फायदा है ऐसी सरकार का , ऐसे मतदाताओं का - अगर जनता के चुने हुए प्रतिनिधि को कोई अधिकार आप देंगे ही नही तो फिर क्या फायदा है यहाँ चुनाव करवाने का |
जनता को बेवकूफ बनाया जा रहा है , उर जनता ख़ुशी से बन रही तथा अपने चुने हुए प्रतिनिधि को कोस रही है , बेवकूफ जनता ये नही समझ रही है कि तुम्हारे ही गले को दबाया जा रहा है , तुमने जिसे काम करे भेजा था उसके साथ ये व्यवस्था (सिस्टम) क्या खेल , खेल रहा है | इसका शिकार तुम ही होने वाले हो | भाजपा और कांग्रेस की व्यवस्था ही उस सिस्टम की जनक है | अगर आम आदमी पार्टी खत्म हो जाती है या सरकार गिर भी जाती है तो आप ही का नुक्सान है क्यूंकि आप जरा खुद सोचिए कि पूर्ण पॉवर वाले UP , राजस्थान , हरियाणा वाले मुख्यमंत्री भी कुछ नही कर पा रहे है - वैसा ही एक और नमूना आपको यहाँ पकड़ा दिया जायेगा जो बिजली , पानी , महंगा करेगा | हर साल दाम बढ़ेंगे और सत्ता का दुरूपयोग सबसे ज्यादा |
सोचिए और समझिये , भले ही आप सहमत ना हों पर जरा एक बार नजरिया बदलिए | धन्यवाद