देश में राजनीतिक व्यवस्था का एक अलग प्रकार का राजनीतिकरण किया जा रहा है जिसका सत्ता पक्ष को पूर्ण रूप से फायदा पहुंच रहा है , वहीँ दूसरी ओर विपक्ष जोकि अब केवल नाम मात्र का ही बचा है , वो हाशिये पर जा रहा है जिसका आगामी नुकसान देश तथा देश की राजनीतिक व्यवस्था दोनों को ही उठाना पड़ेगा चूँकि विपक्ष की कमी सत्ताधारी दल तथा सरकार को भयमुक्त करते हुए निरंकुशता की तरफ अग्रसर करती है अतः निश्चित ही निरंकुशता का व्यापक स्तर पर बढना तय है |
मुख्य विपक्ष के नाम पर देश में कांग्रेस का स्थान है लेकिन पार्टी खुद की आंतरिक कलह और गुटबाजी का शिकार है भले ही पार्टी की ये बातें सार्वजनिक रूप से सामने नही आती लेकिन सच्चाई यही है | कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व भी एक अजीब सा रवैय्या अपनाए हुए है , अध्यक्षा जी के तो मीडिया से रूबरू होने के चर्चे ही नही आते | उपाध्यक्ष जी विदेशो में छुट्टीयों में ही अधिकांश समय व्यतीत कर देते है | कांग्रेस के बाकी नेता आराम फरमा रहे है , कोई एक आध नेता जी है जो लोकसभा और राज्यसभा में पार्टी की पूर्ण जवाबदेही लेकर बैठे है |
यूपीए के अन्य सहयोगियों का वही हाल है जो शादी में बारातियों का होता है , सरकार किसी की भी हो ये बेचारे मध्यम वर्ग की तरह नेतागिरी में जीवन व्यतीत करते है और अभी भी कर रहे है हालाँकि आर्थिक रूप से ये दल भी खूब आसामी है |
भाजपा इन विरोधियो को चुप करके फूली नही समा रही है और जबकि कथित विपक्ष खुद ही आज के परिद्रश्य में उदासीन हालत में रहने को आतुर है या फिर कहें जानबूझ कर है |
राजनीतिक रूप से विपक्ष का थोडा बहुत काम दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी कर रही है | मुख्य रूप से आप और इसके नेताओं अरविन्द केजरीवाल , मनीष सिसोदिया , आशुतोष आदि तो सार्वजनिक तौर पर कड़े शब्दों में भाजपा , केंद्र सरकार तथा मोदी जी के विरोध में देखा जा सकता है |
देश में एक नया विपक्ष जन्म ले रहा है जोकि सरकार (भाजपा) और इनके चेलों (भक्तों) से लड़ता है , बहस करता है , तर्क देता है , सवाल करता है , जवाब देता है |
ये विपक्ष है - वो जनता जिसकी 3 साल में आँखे खुल चुकी है , इस नवचेतना का संचार करने में कई लोगो का योगदान है जिनको भाजपा ने प्रताड़ित किया , मीडिया ट्रायल करवाया , डराया , धमकाया -
ये लोग है कन्हैया कुमार(JNU छात्र) , जिग्नेश मेवानी(दलित नेता) , हार्दिक पटेल (किसान नेता) , अरविन्द केजरीवाल(मुख्यमंत्री दिल्ली) , मनीष सिसोदिया(उप मुख्यमंत्री दिल्ली) , कुमार विश्वास(कवि) , शेला राशीद(jnu छात्रा), भीम आर्मी , और अनेक छोटे-बडे आन्दोलन , |
इस विपक्ष का साथ देने वालों की संख्या भले ही कम है लेकिन देश की वास्तविक हालत को समझने वाले यही है तथा ये वे लोग है जिनको सच्चाई दिखने लगी है कि 3 साल में भाजपा ने देश में क्या किया है और क्या दिखाया है |
- अजय कुमार , लेखक के निजी विचार
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