कितनी अजीब बात है न .......
जब अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी बैलट पेपर से चुनाव की बात कर रही थी तो कहा जा रहा था कि ये देश को पीछे ले जाना चाहते है , तर्क ये भी था की पेपर का कम इस्तेमाल कीजिये और वृक्षों तथा पर्यावरण को बचाइए |
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आइये अब इसका एक अन्य पहलु देखते है यानी जहाँ देश को खूब पीछे ले जाया जा रहा है और अत्याधिक रूप से पर्यावरण का सर्वनाश किया जा रहा है :-
-> राष्ट्रपति चुनाव
-> उप राष्ट्रपति चुनाव
-> राज्यसभा चुनाव
ये तीनो चुनावो में बैलट पेपर इस्तेमाल होता है आज भी |
ये तो चुनाव के मतदान की बात थी अब आइये एक ऐसा पहलु बताएं जो छुपा भी और सरेआम दिखाया भी जाता है :-
याद कीजिये किसी भी छोटे मोटे चुनाव को और उसके लिए चिपकने वाले पोस्टर्स को , उसके पर्चो को, उसके लिए अख़बार में आने वाले पम्फ्लेट्स को
-> तो क्या ये पर्चे पर्यावरण का नुक्सान नही करते ?
-> तो क्या ये पर्चे पेड़ों से नही बनते ??
-> क्या SAVE PAPER सिर्फ कहने का नारा है ???
![Image result for posters during Loksabha elections](https://s-media-cache-ak0.pinimg.com/736x/70/2c/9f/702c9f1ac6ccf063c5057853fd7e124f--friday-funnies-the-funniest.jpg)
खैर आप भूल गये होंगे अहम चुनावो को जो हमारे कल को बनाते है लेकिन केवल तभी जब हम अच्छे को वोट देते है |
फिलहाल आप दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी भी कॉलेज के बाहर या भीतर चले जाइए इतना कूड़ा , कचरा मिलेगा की भूल जायेंगे इसी देश में स्वच्छ भारत अभियान चल रहा है ,
कालेजों में छात्र संघ इत्यादि के चुनावो का दौर चल रहा है और उसके प्रचार में इतने पोस्टर , पर्चे , पम्फेल्ट्स , फ्रूटी , चाकलेट , पेन , कॉपी , टोपी बांटे जाते है जिनकी कोई हद नही , गौरतलब है कि इसमें से अंतिम पांच चीजे सब रख लेते है और बाकी को या तो दिवार पे चिपका देते है या फिर नीचे गिरा देते है और चलते बनते है |
मैंने कभी छात्र संघ चुनाव में मतदान नही किया , कालेज में चुनाव का मौसम मेरे लिए छुट्टी का समय होता था , मेरी समझ में नही आता ये इतना पर्यावरण नुकसान करते है और फिर भी किसी कु-तर्की , या पर्यावरणविद को नही दिखता |
कोई जीते या हारे , ये सिर्फ फेसबुक के लाइक्स तक ही सिमित रहते है एक आध कन्हैया रुपी अपवाद को छोड़ दें तो , बाकी के तो सिर्फ गाडी के आगे ''प्रेसिडेंट'' लिखवा के घूमते है मानो यही है देश के प्रेसिडेंट |
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